“घोटुल व्यवस्था: शिक्षा और संस्कृति का जीवंत प्रतीक” भारत की आदिवासी परंपरा पर आधारित एक शोधपूर्ण पुस्तक है। इसमें घोटुल संस्था की उत्पत्ति, सामाजिक संरचना, नियम, नृत्य, गीत और युवाओं की भूमिका को शिक्षा और संस्कृति दोनों दृष्टिकोणों से विस्तारपूर्वक समझाया गया है। यह ईबुक बताती है कि कैसे घोटुल ने बिना औपचारिक विद्यालय के भी युवाओं को जीवनोपयोगी शिक्षा, अनुशासन और सहयोग की भावना सिखाई। यह भारतीय जनजातीय समाज की आत्मा को दर्शाने वाली एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जो परंपरा, समानता और सामुदायिक एकता का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करती है।