कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ जगहें होती हैं जहाँ कदम रखना मना होता है…
“अंतिम मेहमान” ऐसी ही एक डरावनी यात्रा है — जहाँ एक लड़का अपने पुश्तैनी घर को बेचने लौटता है, लेकिन घर उसे छोड़ता नहीं।
रात के 3:07 पर दरवाज़े अपने आप खुलते हैं, पुरानी तस्वीरें बदल जाती हैं, और दीवारें किसी का नाम पुकारती हैं — समीर...
यह सिर्फ़ एक हॉरर कहानी नहीं, बल्कि एक अनुभव है — जो यादों, अपराधबोध और अधूरे अतीत के डर को जगाता है।
अगर आप “दत्त कोठी” या “तुम्बाड” जैसी कहानियों को पसंद करते हैं, तो यह ईबुक आपको अंदर तक हिला देगी।
⚠️ चेतावनी: रात में अकेले पढ़ना मना है।